Monday, June 27, 2011

भारतीय डाक सेवा का बदलता स्वरूप


संदेशो के आदान प्रदान के लिए कपोत अर्थात कबूतर के प्रयोग के दिन लद चुके हैं। उस वक्त प्रशिक्षित कबूतरों के पैरों पर संदेश लिखकर बांध दिया जाता था। फिर वह गंतव्य तक पहुंचकर उसका जवाब लेकर आता था। कालांतर में कबूतरों का काम डाक विभाग ने आरंभ किया। परिवर्तन के दौर में राजनेताओं की निहित स्वार्थों की भूख से डाक विभाग को पटरी पर से उतार दिया कोरियर कंपनी वालों ने।

अब लोग डाकिये का इंतजार नहीं किया करते, अब तो जमाना इंटर नेट का है। इसलिए जन्मदिन, शादी विवाह, परीक्षा में सफलता आदि पर ग्रीटिंग कार्डस, तार, पत्र आदि का जमाना लद गया है, अब तो बस एक क्लिक पर ही आपका संदेश मोबाईल से एसएमएस तो नेट पर ईकार्ड या मेल के जरिए पहुंच जाता है। यह सब होता तो है पर पत्र वाकई आनंद की अनुभूति कराया करते थे, इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है। देश के डाकघरों में जान फूंकने की गरज से ‘परियोजना एरो‘ का आगाज किया है भारत सरकार ने, जो समय के साथ परवान चढ़ती जा रही है। देश के अनेक डाकघर जहां की अव्यवस्था, गंदगी, उलझाऊ कार्यप्रणाली, कर्मचारियों के आलसी व्यवहार के चलते लोग जाने से कतराते थे, वहां जाकर तो देखिए, डाकघर आपको थ्री स्टार जगहों से कम नजर नहीं आएंगे। पोस्ट आफिस का कायाकल्प हो गया है। अब वे देखने में भी सुंदर लगने लगे हैं, कर्मचारियों के व्यवहार में भी खासा अंतर परिलक्षित होने लगा है। बस कमी एक ही रह गई है, डाकियों की भर्ति नहीं होने से चिट्ठियों का वितरण करीने से नहीं हो पा रहा है। सबसे अधिक दिक्कत परीक्षा में बैठने वालों को हो रही है, क्योंकि नए डाकियों को ठीक से पता न होने के कारण उनके वे प्रवेश पत्र से वंचित रह जाते हैं। वैसे प्रोजेक्ट एरो में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आधार बनाया जा सकता है, जिसमें डाकघर को ग्रामीण क्षेत्र में वित्तीय और आर्थिक क्रांति का जरिया बनाया जा सकता है। वैसे भी डाकघर में जमा निकासी पर ग्रामीणों का विश्वास आज भी कायम है। बदलते जमाने की रफ्तार के बावजूद भी डाकघर बैंकिग प्रणाली में आम आदमी तक पहुंचने की क्षमता रखते हैं। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते जबकि आयकर में छूट पाने के लिए लोग डाकघर के नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट पर टूट पड़ते थे। बाद में वित्त मंत्रालय की नीतियों ने डाकघरों की सांसें फुला दीं और लोग इससे विमुख होने लगे, अन्यथा मार्च माह में डाकघर में बाबुओं को खाना खाने की फुर्सत नहीं होती थी। देश में वर्तमान में छोटे, मंझोले, बड़े डाकघर मिलाकर एक लाख पचपन हजार प्रंद्रह केंद्र संचालित हैं, इनमें निजी तौर पर दी गई फै्रंचाईजी शामिल नहीं है। इनमें से साढ़े बारह से अधिक डाकघरों को कंप्यूटरीकृत कर दिया गया है।

केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि सभी डाकघरों को वर्ष 2012 के साथ ही कंप्यूटरीकृत कर दिया जाए। डाक तार विभाग में एक हजार करोड़ रुपयों के बजट के साथ छह कंपनियां डाकघरों के अपग्रेडेशन के काम को अंजाम दे रही हैं। देश के सबसे पुराने विभागों की फेहरिस्त में शामिल डाक विभाग वर्तमान में सामान्य पोस्ट, मनी आर्डर के अलावा स्पीड पोस्ट, इंटरनेशनल रजिस्टर्ड पोस्ट, लॉजिस्टिक पोस्ट, पार्सल, बिजनेस पोस्ट, मीडिया पोस्ट, डायरेक्ट पोस्ट आदि की सेवाएं दे रहा है। इसके साथ ही साथ ग्रामीण इलाकों में आर्थिक सेवाओं में पीपीएफ, एनएससी, किसान विकास पत्र, सेविंग एकाउंट, सावधिक जमा खाता आदि की सुविधाएं मुहैया करवा रहा है। गैर पोस्टल सेवाओं में पोस्टल लाईफ इंश्योरेंस, ई पेमेंट, इंस्टेंट मनी आर्डर सर्विस और इंटरनेशनल मनी ट्रांसफर की सेवाएं भी दे रहा है। भारत में डाक सेवा की नींच 19वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई थी। 1 जुलाई 1852 को सिंध प्रांत में ‘सिंध डाक’ का आगाज डाक सेवा के तौर पर किया गया था, इस दिन पहला वेक्स से बना डाक टिकिट जारी किया गया था। यह हिन्दुस्तान ही नहीं वरन् एशिया का पहला डाक टिकिट था।

देश में आधा आना, एक, दो और चार आने का डाक टिकिट सबसे पहले प्रयोग में लाया गया था। दुनिया का सबसे उंचाई वाला डाकघर हिन्दुस्तान में ही है। समुद्रतल से 15,500 फुट (लगभग 4700 मीटर) के साथ सिक्किम में 172114 पिन नंबर के साथ यह दुनिया का सबसे ऊंचा डाकघर है। 1962 तक डाक टिकिटों पर इंडिया पोस्टेज लिखा होता था, इसके बाद 1962 से ही इसे हटाकर इसके स्थान पर भारत लिखा जाने लगा। इस साल फरवरी माह में भारत के डाक विभाग द्वारा बापू के प्रिय खादी के कपड़े पर बापू की तस्वीर वाली टिकिटों को बाजार में सीमित मात्रा में उतारा था। लोगों ने यादगार के तौर पर खरीदा और उसे सहेज कर रख लिया है। इसके अलावा डाक विभाग को पुन: लोकप्रिय बनाने की गरज से विभाग ने लोगों को खास मित्र या रिश्तेदार अथवा स्वयं के चित्रों वाला डाक टिकिट देने की स्कीम भी लांच की, जिसमें निर्धारित शुल्क अदा करने पर कोई भी किसी खास चित्र को बनवाकर उसका डाक टिकट बनवा सकता है। कोरियर कंपनियों के बढ़ते वर्चस्व और सूचना एवं संचार क्रांति ने डाक विभाग के चिट्ठी पत्री बांटने के काम को भी सीमित ही कर दिया। कम ही लोग हैं जो आज पत्रों का उपयोग करते हैं। लोगों का विश्वास डाक विभाग से उठ चुका है। उन्हें खतरा रहता है कि डाक विभाग उनके पत्र को गंतव्य तक पहुंचा भी देगा अथवा नहीं लोगों का मानना है कि कोरियर सेवा से उनका संदेश चौबीस से अड़तालीस घंटे में पहुंच ही जाएगा। डाक विभाग के एकाधिकार को कोरियर कंपनियों ने तोड़ दिया है। अब स्पीड पोस्ट सेवा से पुन: लोगों का विश्वास डाक विभाग की ओर लौटने लगा है किन्तु यह सेवा कुछ तक मंहगी होने के कारण वांछित लोकप्रियता नहीं प्राप्त कर पाई है।

अब ऐसे लोग गिनती के ही बचे होंगे जो नियमित तौर पर पत्रों का आदान प्रदान किया करते हैं। दमोह मूल के शिक्षा विभाग से सेवानिवृत सहायक संचालक एवं रुड़की विश्वविद्यालय में व्याख्याता डॉ. दीपक के लगभग अस्सी वर्षीय पिता डीडी खरे रोजाना अपने दो परिचितों को नियमित तौर पर पोस्ट कार्ड भेजते हैं। उनका मानना है कि पत्र के माध्यम से आपकी व्यक्तिगत उपस्थिति का आभास होता है, यही कारण है कि वे सालों साल से निर्बाध तौर पर पोस्ट कार्ड लिखकर प्रेषित करते हैं, उनके परिचित भी उनके पत्रों का जवाब देकर इस उम्र में उन्हें नई उर्जा प्रदान किया करते हैं। भारतीय डाक विभाग का नेटवर्क देश की अमूल्य धरोहर है।
-लिमटी खरे

Friday, June 24, 2011

ख़त

बहुत दिनों बाद खतों को लेकर संजीदगी से लिखी कोई कविता पढ़ी. मन में उतर सी गई 'दीपिका रानी' की 'आउटलुक' में छपी यह कविता, सो अब आप से भी शेयर कर रहा हूँ-


एक दिन अचानक एक खत मिला
लिफाफे में थी
थोड़ी खुशबू
कुछ ताजी हवा
और पहली बारिश का सौंधापन

माँ के हाथों की बनी
रोटियों की गर्माहट थी उसमें
पिता की थपकियों सा सुकून
और एक शरारती सा बच्चा
झांक रहा था बार-बार

खत में थे दो हाथ
जो उठे थे दुआओं में
दो आँखें जिनमें दर्द था
जो मेरा था.
मुस्कराहट के पीछे
मेरी आँखों की उदासी को
वो आँखें समझती थीं

खत ने वो असर किया
कि मेरा दर्द
मुस्कराहट में बदल दिया
उसमें थी वो संजीवनी
जो मेरी डूबती सांसों में
जिन्दगी भर गई
और मेरे जीने का सामान कर गई

मैने सोचा, लिखूँ जवाबी खत
वही खुशबू वही गर्माहट
वही सुकून ,वही मुस्कराहट
बंद की लिफाफे में
मगर अब तक वो यहीं पड़ा है
क्या फरिश्तों का कोई पता होता है ?

-दीपिका रानी
(साभार : आउटलुक, मई 2011)

Monday, June 20, 2011

भोपाल से प्रकाशित LN STAR में 'डाकिया डाक लाया' की चर्चा


भोपाल से प्रकाशित साप्ताहिक पत्र LN STAR के 26 फरवरी-4 मार्च, 2011 अंक में 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग की चर्चा की गई है. इसमें ब्लॉग की कई प्रविष्टियों को मिलाकर एक समग्र रूप दिया गया है. मसलन, सोने के डाक टिकट, डाक टिकटों में कबूतर और गौरैया, विश्व डाक दिवस, डाक विभाग के चर्चित व्यक्ति, दुनिया का सबसे महंगा डाक-टिकट, डाकिया पर सोहन लाल दिवेधी की कविता जैसी तमाम पोस्टों को एकाकार कर इसे खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है. इससे पहले 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग और इसकी प्रविष्टियों की चर्चा दैनिक हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, राजस्थान पत्रिका, उदंती जैसे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में हो चुकी है.

गौरतलब है कि "डाकिया डाक लाया" ब्लॉग की चर्चा सबसे पहले 8 अप्रैल, 2009 को दैनिक हिंदुस्तान अख़बार में ब्लॉग वार्ता के अंतर्गत की गई थी। रवीश कुमार जी ने इसे बेहद रोचक रूप में प्रस्तुत किया था. इसके बाद इसकी चर्चा 29 अप्रैल 2009 के दैनिक 'राष्ट्रीय सहारा' पत्र के परिशिष्ट 'आधी दुनिया' में 'बिन्दास ब्लाग' के तहत की गई. "प्रिंट मीडिया पर ब्लॉग चर्चा" के अनुसार इस ब्लॉग की 22 अक्तूबर की पोस्ट "2009 ईसा पूर्व में लिखा गया दुनिया का पहला पत्र'' की चर्चा 11 नवम्बर 2009 को राजस्थान पत्रिका, जयपुर संस्करण के नियमित स्तंभ 'ब्लॉग चंक' में की गई।




....ऐसे में यह जानकर अच्छा लगता है कि इस ब्लॉग को आप सभी का भरपूर प्यार व सहयोग मिल रहा है. आप सभी शुभेच्छुओं का आभार !!

Friday, June 17, 2011

करोड़ों की उम्मीद बनी डाकघर बीमा योजना



विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण जनता के बीच वित्तीय सेवाओं को पहुंचाना जरूरी है। वंचितों तक वित्तीय सुविधा पहुंचाने का असर व्यक्ति, समूह और समाज सब पर पड़ता है। वित्तीय सेवाओं को सुलभ कराने के नतीजे सकारात्मक रहेंगे। वर्ल्ड बैंक की क्रिस्टिन कियांग का कहना है कि मोबाइल टेलीफोनी में दस फीसदी की बढ़ोतरी के साथ ही सकल राष्ट्रीय घरेलू उत्पादन में 0.8फीसदी की बढ़ोतरी हो जाती है। इस तरह माइक्रोफाइनेंस जैसी वित्तीय सेवाओं का उन लोगों की जिंदगी पर व्यापक असर पड़ रहा है, जिन्हें बैंकिंग सुविधा हासिल नहीं है।

वित्तीय समावेश का आखिर अर्थ क्या है? वित्तीय समावेश का मतलब है लोगों को उन लागतों पर वित्तीय सेवा मुहैया कराना, जिन्हें वे वहन कर सकें। इसके लिए सार्वजनिक और निजी बैंक दोनों कोशिश कर रहे हैं, लेकिन समाज का एक बड़े वर्ग तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच नहीं बन पाई है। वर्ष, 2004 के एक सर्वे के मुताबिक निम्न आय वर्ग में 100 लोगों में से सिर्फ 59 लोगों के पास बैंक खाता है। इसमें क्षेत्रीय विषमता भी है। मणिपुर में 100 में सिर्फ 17 लोगों के पास बैंक खाता है।

ज्यादातर नीति-निर्माता अनुदान, पेंशन, सब्सिडी जैसे तरीकों पर विश्वास करते हैं। नरेगा इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है, जिसमें गरीब मजदूरों को 100 दिन रोजगार की गारंटी है। लेकिन ये योजनाएं लीकेज से आक्रांत हैं। दरअसल सब्सिडी लंबे समय तक चलने वाले उपाय नहीं हैं। ये समस्या के फौरी इलाज हैं। सब्सिडी से समस्या का समाधान नहीं होता। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र अलग से ढीले रवैये से ग्रस्त हैं। इसलिए इस बात पर आश्चर्य होता है कि सार्वजनिक क्षेत्र की अनोखी पहल का व्यापक असर क्यों हो रहा है। इंडिया पोस्ट बोर्ड के सदस्य डॉ. उदय बालकृष्णन से बात करने पर दो चीजों का पता चला। पहली यह कि सार्वजनिक क्षेत्र में खुद को एक नए रूप में ढालने की क्षमता है और दूसरी गरीबों की इच्छा हो तो उन्हें छोटी बचत योजनाओं की ओर आकर्षित कर वित्तीय बाजार से जोड़ा जा सकता है।

दरअसल वित्तीय समावेश के लिए अभी भारतीय डाक विभाग का पूरा इस्तेमाल नहीं हुआ है। डाक विभाग की विश्वसनीयता और पहुंच जबरदस्त है। देश के 1,55,000 डाकघरों में 50000 कर्मचारी नियुक्त हैं। एक वितरण चैनल के तौर पर इनका काफी अच्छा इस्तेमाल हो सकता है। नरेगा में शामिल पांच करोड़ लोगों के भुगतान का भी यह विश्वसनीय माध्यम है। लोगों का डाकघर पर भरोसा है इसलिए वे अपनी वित्तीय प्लानिंग में इसकी भूमिका को शामिल कर लेते हैं। लगभग 20 करोड़ लोगों के पास डाकघर का बचत खाता है।

भारतीय डाक विभाग ने 1995 से ग्रामीण बीमा योजना शुरू की थी। लेकिन एक मुख्य कारोबार के तौर पर शायद ही इस पर जोर दिया हो। लेकिन हाल में जब इसने इस पर जोर देना शुरू किया तो नतीजे काफी उत्साहजनक निकले। ग्रामीण बीमा योजना पर जोर दिए जाने से कर्मचारी इससे जुड़ने लगे और कामकाज में दिलचस्पी लेने लगे। कुछ ही महीनों में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले एक करोड़ बीस लाख लोगों ने डाकघर बीमा योजना की पॉलिसी खरीदी। दस हजार रुपये तक बीमित राशि के लिए एक रुपये प्रति दिन के प्रीमियम के हिसाब से पॉलिसी बेची गई। यानी एक बीड़ी के बंडल की कीमत (छह रुपये) के बराबर प्रीमियम (प्रतिदिन) पर इससे बड़ी पॉलिसियां बेची गईं। इस तरह डाक विभाग बीमा क्षेत्र का एक बड़ा खिलाड़ी बन गया है। डाक विभाग दूसरी सारी बीमा कंपनियों की तुलना में दोगुना पॉलिसी बेच रहा है। हर महीने यह दस लाख पॉलिसीधारकों को जोड़ रहा है।

आखिर ग्रामीण जनता की इतनी बड़ी आबादी इस तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी क्यों खरीद रही हैं? ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने बच्चों के लिए पैदा होने वाले अवसरों के बारे में पता चल रहा है। उनकी आकांक्षाएं बढ़ रही हैं। उनका मानना है कि अगर उन्होंने अपने बच्चों को सही शिक्षा दिलाई तभी इन अवसरों का लाभ उठा सकेंगे। माता-पिता अपने बच्चों के लिए बलिदान करने के लिए तैयार हैं और वह बच्चों के भविष्य के लिए रकम जोड़ने लगे हैं।

डाकघर बीमा योजना की सफलता के पीछे यह एक बड़ी वजह है। सबसे अहम वजह यह है लोग सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी स्कीमें खरीदने के लिए अपनी बचत का एक हिस्सा खर्च कर रहे हैं। एक बड़ी आबादी इसलिए निवेश कर रही है कि परिवार में किसी की मृत्यु की स्थिति में बच्चों की शिक्षा-दीक्षा बाधित न हो। इस तरह लोग सरकार के अनुदान,पेंशन और सब्सिडी नीति पर मोहताज न रह कर खुद ही वित्तीय समावेश की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। अगर आज सी के प्रह्लाद जिंदा होते तो उन्हें इस पर गर्व होता। आखिर उनके बॉटम ऑफ पिरामिड में मौजूद 30 करोड़ गरीबी से बाहर निकलने की ओर जो बढ़ रहे हैं।

साभार : बिजनेस भास्कर

Tuesday, June 14, 2011

डाक विभाग करेगा फैब इंडिया के उत्पादों की बिक्री

फैब इंडिया के अपने मुख्य स्टोर पर भारतीय डाक का एक अलग काउंटर खोला है जहां से ग्राहक देश ही नहीं, विदेश तक में स्टोर से खरीदा गया माल भेज सकते हैं। यह भारतीय डाक और फैब इंडिया के बीच पहली पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की शुरूआत की है। 14 जून, 2011, मंगलावर को नई दिल्ली में ग्रेटर कैलाश स्थित स्टोर पर इस काउंटर का संयुक्त रूप से उद्घाटन केंद्र सरकार में डाक विभाग की राधिका दुरईस्वामी और फेबइंडिया ओवरसीज़ प्रा. लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विलियम बिसेल ने किया।
 
संयुक्त उद्यम के रूप में खोले गए इस काउंटर के माध्यम से भारतीय डाक ग्राहकों को फैब इंडिया के उत्पाद आसानी से खरीदने, पैक करने और भारत व विदेश में कहीं भी भेजने की सुविधा उपलब्ध कराएगा। डाक सर्कल कर्मचारी इस काउंटर पर उपलब्ध रहेंगे ताकि ग्राहकों को अपना कन्साइनमेंट बुक करने में सुविधा हो।
 
बता दें कि भारत के 58 शहरों में 140 और चार अंतरराष्ट्रीय स्टोरों के साथ फैब इंडिया ओवरसीज़ प्राइवेट लिमिटेड भारत का अकेला ऐसा रिटेल प्लेटफॉर्म है, जो ग्रामीण इलाकों में रहने वाले दस्तकारों द्वारा तैयार की गई सामग्री उपलब्ध कराता है।

Monday, June 13, 2011

अंडमान में उत्कृष्ट डाक कर्मियों का सम्मान


अंडमान निकोबार द्वीप समूह में डाक विभाग द्वारा 09 जून 2011 को पोर्टब्लेयर के मेगापोस्ट नेस्ट रिसोर्ट में वित्तीय वर्ष 2010-11 में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए डाक-कर्मियों और अधिक राजस्व देने हेतु महत्वपूर्ण संस्थानों के प्रमुखों को सम्मानित किया गया. इस समारोह के मुख्य अतिथि अंडमान-निकोबार के प्रधान वन सचिव श्री एस.एस. चौधरी तथा अध्यक्षता अंडमान निकोबार द्वीप समूह के डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव द्वारा किया गया। विशिष्ट अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय निदेशक, डाॅ. एस. श्रीनिवास उपस्थित थे। इस अवसर पर 25 डाक कर्मचारियों को उत्कृष्टता सम्मान तथा चार संस्थानों को स्मृति चिन्हों से नवाजा गया।

डाक-कर्मियों को सम्मानित करते हुए मुख्य अतिथि प्रधान वन सचिव श्री एस.एस. चौधरी ने दूरदराज के द्वीपों तक विस्तृत डाक-सेवाओं की सराहना करते हुए डाक कर्मियों के समर्पित कार्यो की सराहना की और द्वीपों के लोगों की सेवा के प्रति प्रतिबद्धता के साथ निरंतर कार्य करते रहने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया । इस अवसर पर प्रतिष्ठित संस्थनों तथा व्यापारोन्मुख ग्राहकों को भी सम्मानित किया गया, जिनमें भारतीय स्टेट बैक, पोर्टब्लेयर के उप प्रबंधक तनमोय मंडल, वेतन एंव लेखा कार्यालय के निदेशक राजेश पूरी एवं एक्सिस बैक के प्रबंधक प्रकाश कुमार तथा डिगनाबाद निवासी रुबिन फर्नाडो शामिल थे ।


समारोह की अध्यक्षता करते हुए डाक सेवा निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने रोजमर्रा के जीवन में लोगों और व्यापार में डाक क्षेत्र की भूमिका तथा सामाजिक एंव अर्थिक विकास में इसके योगदान का उल्लेख किया। श्री यादव ने द्वीप-समूहों में संचालित तमाम डाक सेवाओं के बारे में भी बताया और बदलते दौर में डाक सेवाओं की बदलती भूमिका को रेखांकित किया.

विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक डाॅ एस श्रीनिवास ने अपने संबोधन में द्वीपों के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित डाक घरों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं की गुणवता की चर्चां की और विभिन्न क्षेत्रों में अनुकरणीय सेवाओं के लिए पुरस्कार प्राप्त करने वाले डाक विभाग के सदस्यों को बधाई दी ।

इस अवसर पर डाक जीवन बीमा के क्षेत्र में मलाकोंडैया, स्टीफन फर्नाडीज, एम आर सरकार तो ग्रामीण डाक जीवन बीमा में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु दुलाल बिश्वास, श्रीमती इन्दिरा देवी, प्रदीप पाॅल को सम्मानित किया गया. स्पीड पोस्ट में अधिकतम कारोबार के लिए कमल बिश्वास, श्रीमती गोरेती लकडा, श्रीमती लता को सम्मानित किया गया। सर्वाधिक बचत बैक खाते खोलने में योगदान देने के लिए एस. वेंकटस्वामी, सी एच यारन्ना तथा वी सी जाॅनी को पुरस्कृत किया गया। डाकघरों में टेक्नालाजी के सम्यक क्रियान्वयन के लिए वी वी एस सत्यानारायण, किशोर वर्मा तथा मिहिर कुमार पाॅल सम्मानित हुए. इसी प्रकार विभिन्न कैडरों के तहत भी पुरस्कार प्रदान किया गया। सुपरवाइजर वर्ग में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए पी नीलाचलम तथा श्रीमती एस जयरानी, डाक सहायक संवर्ग में के. एस. एन. मूर्ति, शंकर हालदार, श्रीमती शांता देब, डाकिया कैडर में ए. के. मंडल, एन करुणाकरण तथा ग्रुप-दी संवर्ग में श्रीमती रत्ना कुमारी, ग्रामीण डाक सेवक संवर्ग में साहुल हमीद तथा आर. एम. दास को पुरस्कृत किया गया. सर्वश्रेष्ठ बचत बैंक एजेंट के लिए डाक एजेंट श्रीमती कृष्णा जाना को भी सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर डाक परिवार के सदस्यों के अलावा तमाम गणमान्य नागरिक, मीडिया-प्रतिनिधि भी उपस्थित थे. सहायक डाक अधीक्षक ड़ी. मुर्मू ने उपस्थित जनों का का स्वागत किया, जबकि सहायक पोस्टमास्टर एम. गणपति ने आभार-ज्ञापन दिया !!
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The Department of Posts felicitated Postal Employees as well as Important Business Customers at a function organized at Megapode Nest , Port Blair on 9.6.2011. Mr. S.S Choudhury, Pr. Chief Conservator of Forests , A&N Islands was the Chief Guest on this auspicious occasion. Mr. Krishna Kumar Yadav, Director Postal Services, A&N Islands has presided over the function and Dr. S.Srinivas, Regional Director , IGNOU was the Guest of Honour.

Addressing the gathering on the occasion, Mr. S.S Choudhury , Pr. Chief Conservator of Forests , A&N Islands appreciated the dedication of the postal staff working in remote islands and encouraged them to work with even greater commitment towards serving the people of this Islands.

Mr. Krishna Kumar Yadav, Director Postal Services in his address described the role of the postal sector in peoples and businesses every day lives and its contribution to the social and economic development . He further said that emphasis will be given for creating more awareness among general public about the benefits of postal services. He urged the employees to be prepared to meet the challenges ahead due to the technology changes taking place every now and them. He also focused on some of the important achievements of the Department.

Dr. S. Srinivas, Regional Director, IGNOU also spoke about quality of services provided by the Post offices to the remotest corner of this Islands. and congratulated all for achieving the awards for showing exemplary services in various fields .

The Chief Guest, Mr. S.S Choudhury gave away prizes with the appreciation certificate to the Postal Employees & Postal Agents who achieved the maximum business during the year 2010-11 .On this occasion, the reputed Institutions / business oriented customers which had provided more business were also honored. Shri. Shantanu Gupta, Chief Manager SBI, Port Blair, Shri. Rajesh Puri , Director , Pay & Account Office, Shri. Prakash Kumar , Manager ,Axis Bank , Shri. Rubin Fernando R/o Dignabad were amongst them.

S/Shri. Malakondaiah, Stephen Fernandez, M.R Sarkar were awarded Ist, 2nd & 3rd prizes for procurement of Postal Life Insurance Business whereas Shri. Dulal Biswas, Smt. Indira Devi, Shri. Pradip Paul were awarded Ist, 2nd & 3rd prizes for procurement of Rural postal life insurance business on this occasion. For giving maximum business in Speed Post., Shri. Kamal Biswas, Smt. Goreti Lakra , Smt. Eswari Latha were felicitated whereas S/Shri. S. Venkataswamy, C.H Yarrana, V.C Johney were awarded for their contribution in opening of Saving Bank accounts. In technology field, Shri VVS Satyanarayana, Shri Kishore Verma and Shri Mihir Kr. Paul were also felicitated ,

Similarly, prizes were also given in various Cadres such as for best performances in Supervisory Category, Shri. P. Neelachalam & Smt. S Jayarani were selected. For PA Cadre , Shri K. S.N Murthy, Shri. Shankar Halder, Smt. Shanta Deb have got prizes whereas for Postman and Gr.D Cadre , Shri. A.K Mandal ,Shri. N. Karunakaran & Smt. Ratna Kumari were awarded . In GDS Category, S/Shri. Shahul Hameed & R.M Das were selected.. Smt. Krishna Jana , Postal Agent was also awarded for best Saving Bank agent.

Earlier Shri. D. Murmu, Asstt. Supdt ,Port Blair HO welcomed the gathering while the programme concluded with the vote of thanks by Shri.M.Ganapathy, Asstt. Postmaster ,Port Blair HO.


अब मोबाइल से जायेगा मनीआर्डर

भारतीय डाक वक़्त के साथ कदमताल की प्रक्रिया में नित नई-नई योजनायें आरंभ कर रहा है. टेक्नालाजी का बढ़ता प्रयोग डाक विभाग को और असरदार बना रहा है. इसी क्रम में 1 जून को डाक विभाग ने मोबाइल फोन पर एसएमएस के माध्यम से मनीआर्डर भेजने की योजना चंडीगढ़ में आरंभ की । इसका शुभारम्भ केंद्रीय गृह राज्य राज्य एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री गुरुदास कामत ने किया. योजना के तहत देश भर में मोबाइल से मनीआर्डर भेजे जा सकेंगे। फिलहाल यह योजना पंजाब-बिहार के 20 डाक घरों में शुरू की गई है।

गौरतलब है कि भारतीय डाक दुनिया का सबसे बड़ा डाक-नेटवर्क है। इसके तहत 9 करोड़ मनीआर्डर हर साल डाक द्वारा देशभर में भेजे जाते हैं। अभी तक ई-पोस्ट द्वारा पत्रों को पंख लग गए थे, अब मोबाइल फोन पर एसएमएस के माध्यम से मनीआर्डर भेजने से काफी सहूलियत हो जाएगी. इससे पहले डाक विभाग ने इंस्टेंट मनीआर्डर और इलेक्ट्रानिक मनीआर्डर सेवा भी आरंभ की है.

वाकई, डाक विभाग ने इस योजना से मनीआर्डर से पैसा पहुँचाने को गति दी है। भविष्य में इसे उन राज्यों में शुरु किया जाएगा, जहाँ से बड़ी संख्या में मनीआर्डर भेजे जाते हैं।

मोबाइल मनीआर्डर से जिस व्यक्ति को पैसा भेजना है उसका नाम-पता व मोबाइल नंबर डाकखाने में देना होगा। इसके बाद धनराशि का भुगतान करते ही यह सूचना एसएमएस के माध्यम से मनीआर्डर पाने वाले व संबंधित क्षेत्र के डाकघर को चली जाएगी। मनीआर्डर लेने वाला व्यक्ति उस डाकघर में जाकर या अपने घर पर धनराशि हासिल कर सकेगा। इससे 50 हजार तक राशि भेजी जा सकती है।

Friday, June 10, 2011

राष्ट्रीय लघु बचत निधि की व्यापक समीक्षा रिपोर्ट


राष्ट्रीय लघु बचत निधि (एनएसएसएफ) की व्यापक समीक्षा के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर श्यामला गोपीनाथ के नेतृत्व में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी को 7 जून 2011 को सौंप दी. समिति ने अपनी रिपोर्ट में निम्नलिखित सिफारिशें की.

• समिति ने सभी लघु बचत योजनाओं, उन पर देय ब्याज, उनकी परिपक्वता अवधि एवं अन्य पहलुओं की जांच की.
• किसान विकास पत्र को रोकने एवं अन्य योजनाओं में से कुछ में उचित संशोधन करके उन्हें जारी रखना.
• मासिक आय योजना एवं राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र की परिपक्वता अवधि 6 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष करना.
• 10 वर्ष की एनएससी योजना शुरू करने और डाकघर बचत खाते पर ब्याज दरें 3.5 प्रतिशत से बढ़कर 4 प्रतिशत करना.
• केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों में लघु बचत वसूली के आवश्यक घटक 80 प्रतिशत को घटाकर 50 प्रतिशत करने और आवश्यकतानुसार अन्य राज्यों को दिए गए ऋण की वर्तमान अवधि 25 वर्ष को घटाकर 10 वर्ष करना.

विदित हो कि इस समिति का गठन योजनाओं में पारदर्शिता बाजार से जुड़ी दरें एवं बहुत आवश्यक सुधारों को लाने के उद्देश्य से एनएसएसएफ की रूपरेखा एवं प्रशासन के सभी पहलुओं की जांच के संबंध में 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों को सिद्धांत रूप में स्वीकार करने के बाद किया गया था.

समिति का कार्य एनएसएसएफ से केन्द्र एवं राज्यों को दिए गए ऋणों की वर्तमान शर्तों के मूल्यांकन, लघु बचत की कुल वसूली को केन्द्र एवं राज्यों को उधार देने की व्यवस्था में अपेक्षित परिवर्तनों की सिफारिश करना, लघु बचत से प्राप्त कुल राशि के निवेश के अन्य संभावित अवसरों की समीक्षा, राज्यों एवं केन्द्र को दिए एनएसएसएफ ऋणों के पुनर्भुगतान की प्रक्रियाओं और राज्यों द्वारा लघु बचतों के निवेशों पर दिए गए प्रोत्साहनों की समीक्षा करनी थी. समिति के अन्य सदस्य आर श्रीधरन प्रबंध निदेशक भारतीय स्टेट बैंक, शक्तिकांत दास अपर सचिव (बजट) वित्त मंत्रालय, डॉ. राजीव कुमार पूर्व निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर भारतीय अनुसंधान परिषद जो वर्तमान में महानिदेशक फिक्की है, अनिल बिसन आर्थिक सलाहकार (वित्त मंत्रालय) हैं.

Courtesy : Jagran Josh

Tuesday, June 7, 2011

डाक घरों की लघु बचत योजनाएं होंगी अधिक फायदेमंद


लघु बचत योजनाओं को और प्रभावी बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर श्यामला गोपीनाथ की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सरकार को 7 जून, 2011 को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कुछेक प्रभावी सुझाव दिए हैं. इनमें से तमाम सुझाव डाक-घरों में बचत बैंक की स्थिति को सुदृढ़ करते हैं-

-लघु बचत योजनाओं पर मिलने वाले रिटर्न को सरकारी प्रतिभूतियों पर मिल रही ब्याज दरों से जोड़ दिया जाए.

-पोस्ट ऑफिस बचत योजना पर भी 4%ब्याज दिया जाए.

-एनएससी की परिपक्वता अवधि मौजूदा 6 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष कर दी जाए.

-किसान विकास पत्र (केवीपी) को बंद कर इसकी जगह 10 वर्ष अवधि वाला एनएससी जारी किया जाए.

-पीपीएफ में निवेश की मौजूदा सीमा 70,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी जाए.

-सिफारिश के लागू होने के बाद एक साल की जमा योजना पर ब्याज दर मौजूदा 6.25% से बढ़कर 6.8% हो जाए.

-पीपीएफ पर रिटर्न मौजूदा 8% से बढ़कर 8.2% हो जाए.

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार इस कमेटी के सुझावों पर अमल करती है तो जल्द ही छोटे निवेशकों को काफी फायदा मिल सकता है। कमेटी ने जो सुझाव दिए हैं उनका मुख्य उद्देश्य बढ़ती महंगाई के इस दौर में लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरों को मार्केट से जोडऩा है, जिससे निवेशकों को ज्यादा फायदा हो। इसके अलावा किसान विकास पत्र (केवीपी) के स्थान पर जो 10 साल अवधि के राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) लाने की बात कही गई है, इससे लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले निवेशकों को भी फायदा होगा।

इसी प्रकार ,लघु बचत योजनाओं की तुलना में बैंक ज्यादा ब्याज दे रहे हैं, इससे इनकी ओर लोगों का रुझान कम हो रहा है। ऐसे में यदि सरकार पोस्ट ऑफिस बचत पर चार प्रतिशत ब्याज के प्रस्ताव को मान लेती है तो इससे छोटे निवेशकों को तो फायदा होगा ही साथ ही सरकार के खजाने में भी वृद्धि होगी। पब्लिक प्रोविडेंट फंड, जो बचत के साथ ही आयकर में छूट पाने का सबसे बेहतर जरिया है, में निवेश की सीमा भी अगर 70,000 रुपये से बढ़ कर एक लाख रुपये हो जाती है तो लंबी अवधि में यह बहुत ही सकारात्मक कदम साबित होगा।

..फ़िलहाल कमेटी की रिपोर्ट चर्चा में है और लोगों के इसके फलीभूत होने का इंतजार है !!

Wednesday, June 1, 2011

डाकघर की बचत योजनाएं



पोस्ट ऑफिस बचत खाता (SB) : इस पर 3.50 प्रतिशत वार्षिक ब्याज मिलता है और इसके एकल खाते में अधिकतम 1 लाख और संयुक्त खाते में 2 लाख रुपये निवेश किए जा सकते हैं। न्यूनतम 50 रूपये से खाता खोलने की सुविधा.इसका ब्याज कर-मुक्त है.इसमें चेक-सुविधा उपलब्ध है.चेक सुविधा के लिए न्यूनतम 500 रूपये से खाता खोलने की सुविधा.

पोस्ट ऑफिस टाइम डिपोजिट (TD): इस योजना के तहत एक वर्ष के लिए 6.25, दो वर्ष के लिए 6.50, तीन वर्ष के लिए 7.25 और पांच वर्ष के लिए 7.50 प्रतिशत ब्याज देय है। ब्याज वार्षिक रूप से देय, पर गणना त्रैमासिक आधार पर.इसका ब्याज कर-मुक्त है.मात्र पाँच वर्षीय स्कीम पर आयकर-छूट उपलब्ध है.

पोस्ट ऑफिस आवर्ती जमा योजना (RD): हर माह जमा आधार. न्यूनतम 10/-, अधिकतम कोई सीमा नहीं. 5 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाली इस योजना पर वार्षिक 7.5 प्रतिशत ब्याज देय है । अगले पाँच वर्ष के लिए उसी ब्याज दर पर बढ़ने की सुविधा उपलब्ध. (उदाहरण-10/- प्रतिमाह जमा करने पर पाँच साल बाद 728.90/- की प्राप्ति)

पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना (MIS) : 6 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाली इस योजना पर मासिक 8 प्रतिशत ब्याज देय है और आयकर की धारा 80एल के तहत इस पर आयकर छूट का भी प्रावधान है। (उदाहरानार्थ- 12,000 रूपये पर हर माह 80/-). एकल खाते में अधिकतम निवेश की सीमा 4.5 लाख और संयुक्त खाते में 9 लाख रुपये है। परिपक्वता के बाद 5 प्रतिशत बोनस भी प्राप्त होता है.इसका ब्याज कर-मुक्त है.

राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC) : इस पर 8.16 प्रतिशत ब्याज मिलता है और इसकी परिपक्वता अवधि छह वर्ष है। ब्याज की गणना छमाही आधार पर पर भुगतान मैचयोरती के बाद. इसमें भी 100 रुपये से निवेश प्रारंभ किया जा सकता है और अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। इस पर आयकर छूट का फायदा भी मिलता है।

किसान विकास पत्र (KVP): इसमें फिलहाल निवेशित धन राशि आठ वर्ष सात माह में लगभग दोगुनी हो जाती है। इसमें कम से कम 100 रुपये से निवेश प्रारंभ किया जा सकता है और निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। इस योजना पर आयकर छूट का कोई लाभ नहीं है।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) : वर्तमान में इसमें अधिकतम निवेश की सीमा 70,000 रुपये हैं और इस पर 8 प्रतिशत ब्याज मिलता है। 15 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाली इस योजना पर आयकर छूट का भी लाभ प्राप्त होता है।लोन सुविधा उपलब्ध.

वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) : पांच वर्ष की परिपक्वता अवधि वाली इस योजना पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज मिलता है। निवेशक चाहे तो इसे तीन साल के लिए और बढ़ा सकता है। त्रैमासिक आधार पर ब्याज देय.इमसें निवेश की न्यूनतम सीमा 1,000 और अधिकतम सीमा 15,00,000 रुपये है।